श्रीलंका में बनेगा भव्य सीता माता मंदिर; मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा- मंदिर का डिजाइन जल्द तैयार किया जाएगा

भोपाल. श्रीलंका में सीता माता का भव्य मंदिर बनाने के लिए कोशिशें तेज हो गई हैं। इस सिलसिले में सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने श्रीलंका के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि मंदिर के निर्माण के लिए मध्यप्रदेश और श्रीलंका के अधिकारियों की एक समिति बनाई जाएगी। मंदिर के साथ ही सांची में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बौद्ध संग्रहालय, अध्ययन एवं प्रशिक्षण केंद्र बनाने पर भी चर्चा हुई। इसकी कार्ययोजना भी जल्द बनाने निर्देश दिए गए हैं।


मुख्यमंत्री कमलनाथ सोमवार को मंत्रालय में श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात की। बैठक में महाबोधि सोसायटी के अध्यक्ष बनागला उपतिसा भी शामिल थे। मंत्री कमलनाथ ने कहा कि श्रीलंका में सीता मंदिर के भव्य निर्माण के लिए शीघ्र ही एक समिति बनाई जाए, जिसमें मध्यप्रदेश एवं श्रीलंका सरकार के अधिकारियों के साथ ही महाबोधि सोसायटी के सदस्य भी शामिल हों। समिति मंदिर निर्माण कार्यों की निगरानी करेगी, जिससे मंदिर का निर्माण तय समय में हो सके। कमलनाथ ने कहा कि कहा कि मंदिर के डिजाइन को अंतिम रूप दिया जाए और इसी वित्तीय वर्ष में आवश्यक धन राशि भी उपलब्ध करवाई जाए।


सांची में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनेगा 


मुख्यमंत्री ने सांची में बौद्ध संग्रहालय, अध्ययन एवं प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए आवश्यक भूमि आवंटित करने के साथ ही यहां पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनाने को कहा। इसके लिए जल्द ही कार्ययोजना बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि जापान की कई कंपनियों और अन्य संस्थाओं में सांची में विभिन्न संरचनाओं के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता देने की पेशकश की है।


पीसी शर्मा ने की थी श्रीलंका की यात्रा 


जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने श्रीलंका यात्रा के दौरान सीता मंदिर के निर्माण के संबंध में वहां की सरकार से चर्चा की थी।  उन्होंने सीएम के साथ बैठक में इसकी भी जानकारी दी। शर्मा ने कहा कि अगर बेहतर
वायु सेवाएं उपलब्ध हों तो श्रीलंका के सहित अन्य बौद्ध धर्म को मानने वाले विभिन्न देशों में रह रहे श्रद्धालुओं को सांची आने में सुविधा होगी। इसी तरह मध्यप्रदेश के लोगों को भी सीता मंदिर के दर्शन करने में आसानी होगी। मुख्यमंत्री को इस मौके पर महाबोधि सोसायटी श्रीलंका के अध्यक्ष बनागला उपतिसा बौद्ध की प्रतिमा, बौद्ध ग्रंथ एवं स्वयं की लिखित पुस्तक भेंट की।