वन विहार में 5 साल बाद दिखेगा लॉयन, बिलासपुर से लाया गया नर सिंह सत्या

भाेपाल  . वन विहार में आने वाले पर्यटकाें काे लंबे से एक कमी महसूस हाेती थी कि उन्हाेंने सब कुछ देखा, लेकिन सिंह देखने नहीं मिला है। यह कमी वन विहार प्रबंधन ने शनिवार काे पूरी कर दी है। बिलासपुर से लाए नर सिंह सत्या काे 21 दिन के प्राेटाेकाॅल के बाद डिस्प्ले बाड़े में छाेड़ दिया गया है। इसके व्यवहार का अध्ययन करने के 4 दिन बाद मादा सिंह नंदी काे भी बाड़े में छाेड़ा जाएगा।


पांच साल से डिस्प्ले बाड़ा खाली था। वन विहार में 4 सिंह हाेने के बाद भी उन्हें प्राेटाेकाॅल की वजह डिस्प्ले बाड़े में नहीं रखा जा सकता था। ये सभी सिंह सर्कस से रेस्क्यू किए गए थे। इसके बाद वन विहार प्रबंधन ने दूसरे चिड़ियाघर से सिंह का जाेड़ा लाने का निर्णय लिया था। इसी के तहत बिलासपुर के कानन पेंडारी चिड़ियाघर से एक जाेड़ा लाया गया।


इस बाड़े में रहने वाले सिंह सबसे लंबी उम्र जिए
जिस डिस्प्ले बाड़े में सत्या काे रखा गया है, उसमें सबसे बुजुर्ग सिंह रामू अाैर उसकी जोड़ीदार भवानी काे रखा गया था। भवानी की माैत फरवरी 2015 काे हाे गई थी। उसके बाद रामू काे डिस्प्ले बाड़े से हटाकर ऊपर हाउसिंग में रख दिया था। तब से ये बाड़ा खाली था। रामू की माैत 2016 हुई थी, तब उसकी उम्र 28 वर्ष थी। यह कैप्टिविटी में रहने वाला देश का सबसे अधिक उम्र का सिंह था। आमतौर पर जंगल में रहने वाले सिंह की आयु 12 से 15 साल के बीच होती है। जबकि बाड़े में रहने वाले सिंहों की उम्र बढ़ जाती है।


जूनागढ़ चिड़ियाघर थमा रहा था बूढ़े सिंहाें का जाेड़ा 
एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत जूनागढ़ से सिंह का जाेड़ा लाने के लिए प्रबंधन ने केंद्रीय चिड़ियाघर काे प्रस्ताव भेजा था। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के दबाव में जूनागढ़ चिड़ियाघर सिंह देने ताे राजी हाे गया लेकिन जब वन विहार की टीम उसे देखने गई तो बूढ़े सिंहाें का जाेड़ा थमाया जा रहा था। इस पर टीम ने उसे लेने से इंकार कर दिया था।



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