सरकारी एजेंसियों में तालमेल की कमी से जनता के पैसों की बर्बादी का एक और नमूना

भोपाल . रोहित नगर से बावड़ियाकलां होते हुए सनखेड़ी जाने वाली सीवेज पाइप लाइन के लिए नगर निगम ने बीडीए की सीमेंट- कांक्रीट सड़क को खोद दिया है। बीडीए और नगर निगम के बीच  तालमेल नहीं होने से इस सड़क के किनारे बनी ट्रेंच का उपयोग नहीं हो सका। यदि बीडीए ने निगम को पत्र का जवाब दे दिया होता तो शायद सड़क खोदने की नौबत ही नहीं आती। बीडीए ने यह सड़क आरसीसी की बनाई है यानी इसमें लोहा बिछाया गया है। रेस्टोरेशन में दोबारा लोहा बिछाया जाना संभव नहीं है।



जानकारों के अनुसार, नियमानुसार बीडीए की स्कीम के भीतर कोई भी अन्य एजेंसी बीडीए की अनुमति के बिना कोई कार्य नहीं कर सकती। बीडीए नगर निगम को यहां सीवेज लाइन बिछाने की अनुमति देने के साथ अपनी कॉलोनी की सीवेज लाइन भी जोड़ सकता था। इससे बीडीए यहां एसटीपी के निर्माण पर होने वाला लगभग डेढ़ करोड़ रुपए का खर्चा बचा सकता था।


ट्रेंच या फुटपाथ के लिए छोड़ी जगह की नहीं थी जानकारी
 


शहर में सड़क के बीच में ही सीवेज लाइन बिछा रहे हैं ताकि अन्य काॅलोनियों में भी इस्तेमाल हो सके। सड़क की खुदाई से पहले बीडीए को तीन पत्र लिखे हैं। लेकिन जवाब नहीं मिला। सड़क में बनी ट्रेंच या फुटपाथ के लिए छोड़ी गई जगह की जानकारी होती तो समन्वय से निर्णय लिया जा सकता था।  संतोष गुप्ता, सिटी इंजीनियर (सीवेज), ननि

निगम ने सड़क खोदी है, वही कराकर देगा रेस्टोरेशन 

अमृत योजना में निगम पूरे शहर के साथ मिसरोद में भी सीवेज लाइन बिछा रहा है। यह सड़क नगर निगम ने ही खोदी है इसलिए स्वाभाविक रूप से रेस्टोरेशन की जिम्मेदारी भी नगर निगम की होगी। हम तो वहां बीडीए द्वारा किए जा रहे डेवलपमेंट का सुपरविजन करते हैं। पीसी चौधरी, एक्जीक्युटिव इंजीनियर, बीडीए

40 से ज्यादा कॉलोनी के रहवासियों की परेशानी

यह सड़क मिसरोद और होशंगाबाद रोड को भी जोड़ती है। यहां पाइपलाइन बिछाने के लिए की जा रही खुदाई से एक ही ओर ट्रैफिक चल रहा है। इससे सलैया, आकृति ग्रीन समेत आसपास की 40 से ज्यादा कॉलोनियों के रहवासियों को रोजाना परेशानी उठाना पड़ती है।


मौके पर टेक्निकल टीम भेजेंगे, इसके बाद कार्रवाई करेंगे




बीडीए और नगर निगम को समन्वय से काम करना था। हम मौके पर बुधवार को ही टेक्निकल टीम भेज कर जांच कराएंगे कि किस स्तर पर गड़बड़ी हुई है। इसके बाद कार्रवाई करेंगे।- कल्पना श्रीवास्तव, संभागायुक्त एवं चेयरपर्सन, बीडीए

मिसरोद फेज-1 का सड़क निर्माण भी जांच के दायरे में
इसी स्कीम के मिसरोद फेज-1 में बीडीए की मूल योजना में डामर की सड़कों का प्रावधान था। लेकिन बीडीए ने यहां सीमेंट- कांक्रीट सड़क बना दी। इससे स्कीम की लागत 90 करोड़ रुपए बढ़ गई। अब यह मामला जांच के दायरे में है।

आर्किटेक्ट की नियुक्ति की फाइल बुलवाई
प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं और कार्यों में सर्वे, ड्राइंग, डिजाइन जैसे कार्यों के लिए आर्किटेक्ट की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर बीडीए के इंजीनियरों ने ही आपत्ति दर्ज कराई है। इन इंजीनियरों ने एक पत्र बीडीए की अध्यक्ष संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव को भी दिया था। उन्होंने सीईओ अंजु पवन भदौरिया से पूरे मामले पर रिपोर्ट देने को कहा है।